डॉ अनुरूद्ध वर्मा एम डी(होम्यो ) वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक, सीनियर एसोसिएट एडीटर-ICN ग्रुप
विश्व अस्थमा दिवस प्रत्येक वर्ष मई के प्रथम मंगलवार को विश्व में अस्थमा के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।सर्व प्रथम वर्ष 1998 में ग्लोबल इनीशिएटिव फॉर अस्थमा (जीना) के द्वारा इस दिवस के आयोजन की शुरुआत की गई थी और प्रत्येक वर्ष “जीना” द्वारा ही विश्व अस्थमा दिवस का आयोजन किया जाता है।
अस्थमा अथवा दमा की गंभीरता का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि देश में लगभग 15 से 20 करोड़ लोग इससे पीड़ित हैं जिसमे 12 % बच्चे शामिल हैं । क्या होते हैं अस्थमा के लक्षण: अस्थमा में व्यक्ति की सांस फूलती है, सीने में घर-घराहट होती है, गले में सीटी बजती है रोगी सीने में दबाव महसूस करता है।अस्थमा के कारण :अस्थमा के प्रमुख कारणों में अनुवांशिक कारण, बढ़ता वायु प्रदूषण, कुछ औषधियां एवं बदलती हमारी जीवन शैली है। मरीज में इस तरह के लक्षणों का इतिहास और घर के कुछ अन्य सदस्यों में भी इस तरह के लक्षण मिलने की संभावना रहती है। अस्थमा की जांच स्पायरोमेट्री और पीकफ्लो मीटर तथा स्टैथोस्कोप से की जाती है। अस्थमा के रोगियों को इन बातों पर विशेष ध्यान देना चाहिए:- जैसे कि यदि किसी चीज से मरीज को तकलीफ होती है तो उस वस्तु का सेवन बंद कर दें, धूल धुआं गर्दा और नमी वाले स्थानों पर नहीं जाना चाहिए, पशु पक्षी पालने से परहेज करना चाहिए, अपने बिस्तर को सप्ताह में एक बार कम से कम धूप अवश्य दिखाना चाहिए, घर मे धूप और हवा का आदान प्रदान ठीक होना चाहिए, घर में तेज महक वाली अगरबत्ती धूपबत्ती या सेंट का प्रयोग नहीं करना चाहिए, घर में कोई भी रोएदार खिलौने या रोएदार चीजें नहीं रखना चाहिए, घर में सफाई के पोंछा का इस्तेमाल करें, डस्टिंग से बचना चाहिए, मिर्च मसाला तेल घी और गरिष्ठ भोजन से परहेज करना चाहिए, तनाव से बचना चाहिए, ब्रीथिंग एक्सरसाइज नियमित रूप से करना चाहिए, सिर ऊंचा करके सोना चाहिए, अस्थमा के रोगी को धूम्रपान और शराब का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए, सांस के मरीजों को ऋतु परिवर्तन के समय अधिक सावधान रहना चाहिए। जैसे ही खांसी जुखाम बुखार की शुरुवात हो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए । अस्थमा के मरीजों को पानी अधिक पीना चाहिए और नियमित रूप से भाफ़ का बफारा करना चाहिए।वर्तमान समय में अस्थमा का उपचार अत्यंत सरल है। एलोपैथिक चिकित्सक वर्तमान समय में अस्थमा का उपचार इनहेलर के द्वारा करते हैं इनहेलर दो प्रकार के होते हैं पहला कंट्रोलर दूसरा रिलीवर। कंट्रोलर इनहेलर नियमित रूप से लिया जाता है जबकि रिलीवर इनहेलर सांस फूलने की स्थिति में लिया जाता है। एलोपैथिक चिकित्सकों के अनुसारवर्तमान समय में इनहेलर ही सबसे अच्छा उपचार है क्योंकि यह सस्ता पड़ता है दवाई का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है कम मात्रा में दवा लगती है और दवा सीधे स्वशन तंत्र में जाती है।होम्योपैथी में भी है अस्थमा का प्रभावी इलाज़ ; होम्योपैथी पद्धति में अस्थमा का प्रभावी उपचार उपलब्ध है ।होम्योपैथी में रोगी क आचार ,विचार, पसंद नापसंद, व्यक्तिगत लक्षणों को ध्यान में रखकर औषधि का निर्धारण किया जाता है ।होम्योपैथिक औषधियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह शरीर पर किसी प्रकार का दुष्परिणाम नहीं डालती है तथा रोगी की दवाओं का आदी नहीं बनाती है। अस्थमा में प्रयोग होने वाली औषधियों में आर्सेनिक एल्बम,काली बाई , ब्रायोनिया, ट्यूबेरक्यूलिनम, सबडिला, हिपर सुल्फ, फॉस्फोरस, अइन्तिम अस्थमा छिपाने से नहीं अस्थमा उपचार करने से ठीक होता है।आज वर्तमान समय में जब पूरा विश्व कोरोना जैसी महामारी से लड़ रहा है ऐसे में अस्थमा के मरीजों को भी अत्यधिक सजग और सतर्क रहने की जरूरत है क्योंकि अस्थमा के मरीजों के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है ऐसे में कोरोना के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है ऐसे मेंसांस के रोगी अपने घरों में रहे, स्वच्छ वातावरण में रहे,शारीरिकदूरी बनाये रखे, मुंह पर मास्क लगाये रहें ।अस्थमा आज लाइलाज नहीं है इसका उपचार कराए।